जानिठकहां बनी रीवा रियासत की उपराजधानी, यहां कैसे बना विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ सरोबर:
वà¥à¤¹à¤¾à¤‡à¤Ÿ टाइगर के बà¥à¤°à¤¡à¤¿à¤‚ग सेंटर होने से दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° में रीवा का गोविनà¥à¤¦à¤—ढ सà¥à¤°à¥à¤–ियों में आया था लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ आप जानते है यह रीवा रियासत की उपराजधानी का गौरव हासिल करने वाला इलाका à¤à¥€ है। यहां कि तीन खूबियां पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है, पहला तो दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° में चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ सफेद बाघ, दूसरा सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤œà¤¾ आम और तीसरा विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ सरोबर।
हम बात कर रहे है रीवा जिला मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ से 20 किलोमीटर दूर गोविनà¥à¤¦à¤—ढ कसà¥à¤¬à¥‡ की, यह इलाका सन 1856 में रीवा राजà¥à¤¯ की उपराजधानी बना था। यह कैमोर पहाड पूरब से पचà¥à¤›à¤¿à¤® तक कैमोर पहाडी का यह इलाका पथरीली à¤à¥‚मि वाला चटटानों से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था, पहाड से पानी की निकलने वाली धाराओं का मनोहारी दशà¥à¤¯ बनाते à¤à¤°à¤¨à¥‡ और खंधों कà¥à¤‚ड मौजूद थे। यहां रिसायत के महाराज रघà¥à¤°à¤¾à¤œ सिंह नें विशाल सरोबर खà¥à¤¦à¤µà¤¾à¤¨à¥‡ के साथ ही दरिया महल और मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कराई थी। इतना ही गोविनà¥à¤¦à¤—ढ में 25 हजार à¤à¤•ड à¤à¥‚मि वन के लिठआरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ की गई। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि महारानी रानावट सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ कà¥à¤‚वरी उदयपà¥à¤° अकà¥à¤¸à¤° महाराज से मायकें की à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ किया करती थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बात रखी कि अगर ससà¥à¤°à¤¾à¤² में à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€à¤² हो तो मायका à¤à¥‚ल जायेगा। महाराज रघà¥à¤°à¤¾à¤œ सिंह अकà¥à¤¸à¤° इस इलाके से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ थे इसी दौरान उनके परिदशà¥à¤¯ में गोविनà¥à¤¦à¤—ढ आ गया। रानावट महारानी की आरजू पूरी करने के लिठमहाराज रघà¥à¤°à¤¾à¤œ सिंह नें गोविनà¥à¤¦à¤—ढ में 1,3 वरà¥à¤—मील में विशाल सरोबर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कराई, यह तालाब पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में दूसरे नबर का दरà¥à¤œà¤¾ रखता है। उतà¥à¤¤à¤° में किला के साथ ही à¤à¤• मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया। किले में हवा महल, संगमरमरी बारादरी, सीपदीप सब अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ थे।
सरोबर, किला और मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 1856 मे पूरा हà¥à¤† था, महाराज रघà¥à¤°à¤¾à¤œ सिंह ने सरोबर पिता विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ सिंह के नाम पर विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ सरोबर, रमागोविनà¥à¤¦ à¤à¤—वान के नाम से किला और नये सिरे से बसà¥à¤¤à¥€ बसाकर उपराजधानी बनाया। पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• कामकाज के लिठबरिष परमिट विà¤à¤¾à¤— खोला, धारा 31 के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इलाकेदारों को परमिट वसूल करने का हक नही रहा। इसके सà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤¨à¤Ÿà¥‡à¤¨à¥à¤¡à¥‡à¤‚ट बनाये गये मौलवी अमानअली। महाराज को जबà¤à¥€ वकà¥à¤¤ मिलता सà¥à¤•ून के पल बिताने गोविनà¥à¤¦à¤—ढ चले जाते थे। सरोबर में उठती लहरे मन मोह लेती थी, महाराज सरोबर में नौकायान कर मनोरम आंनद लेते थे। बारादरी और कठबंगले में घंटो बैठरहते थे। किला के दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¾à¤— की दीवाल को तà¥à¤¡à¤µà¤¾ कर गोविनà¥à¤¦à¤—ढ तक सडक बनवाई, सरोबर के तट पर सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤œà¤¾ आम के बाग लगाये गये। गोविनà¥à¤¦à¤—ढ किले में ही किलकारियां गूंजी थी, मारà¥à¤¤à¤£à¥à¤¡ सिंह का यहीं जनà¥à¤® हà¥à¤†, खेलकूद कर बडे हà¥à¤¯à¥‡ और वà¥à¤¹à¤¾à¤‡à¤Ÿ टाइगर के लिठयहीं बाघ महल बनाकर बà¥à¤°à¤¡à¤¿à¤‚ग कराई।
महाराज रघà¥à¤°à¤¾à¤œ सिह के साथ ही महाराज मारà¥à¤¤à¤£à¥à¤¡ को गोविनà¥à¤¦à¤—ढ से बेहद लगाव रहा है। वà¥à¤¹à¤¾à¤‡à¤Ÿ टाइगर मोहन का राजकीय समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ यहां ही अनà¥à¤¤à¤¿à¤® संसà¥à¤•ार किया गया और उसकी समाधि बनाई गई थी। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में किला जरà¥à¤œà¤° हो चà¥à¤•ा है और बारादरी के संगमरमर चोरी हो गये है साथ ही कठबगला का अधिकांश हिसà¥à¤¸à¤¾ टूट गया है। जबकि सरोबर की खूबसूरती खजà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में दब गई है।
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