विंधà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मौजूद है शैलचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का अदà¤à¥à¤¤ संसार:
विंधà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास मे à¤à¤• विशिषà¥à¤Ÿà¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। विंधà¥à¤¯ को मानव के अदिृतीय à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¥à¤® कीडासà¥à¤¥à¤²à¥€ होने का गौरव पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। मानव के विकास की सà¤à¥€ अवधारणाà¤à¤‚ यहां कà¥à¤°à¤®à¤¬à¤¦à¥à¤§ रूप में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यही वजह है कि विंधà¥à¤¯ की à¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤¯à¤‚ मे मानव शैल चितà¥à¤° का अपना à¤à¤• संसार सा समेटे हà¥à¤¯à¥‡ है। विंधà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक गà¥à¤«à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं मे उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शैलचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने संसà¥à¤•ृती के विकास में अपना महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान दिया है। सोहागी की पहाडी हो या कैमोर परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤–ला शैलचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को हम सहज ही देख सकते है।
सोहागी के पहाड मे पाये गये शैलचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¥à¤® शैल चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का गौरव पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। यही वजह है जहां उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€ शताबà¥à¤¦à¥€ के अठवें दशक में सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® शैलचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤à¥à¤ हà¥à¤† था। तब से लगातार अनेक इतिहास कार à¤à¤µà¤‚ कला पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसके महतà¥à¤µ को उदà¥à¤°à¤˜à¤Ÿà¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ जारी है। विंधà¥à¤¯ से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ वाली परà¥à¤µà¤¤ माला कैमूर शà¥à¤°à¤‚खला के नाम से जानी जाती है। कैमूर परà¥à¤µà¤¤ माला में शैलाकà¥à¤·à¤¯, गà¥à¤«à¤¾à¤¯à¥‡ à¤à¤µà¤‚ छतनà¥à¤®à¤¾ मोड पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ता से जलपà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृति के कारण निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ है जहां मानव जीवन की सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ थी। साथ ही मानव जीवन की मूलà¤à¥‚त आवशà¥à¤¯à¤•तायें जैसे जल à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¤µà¤‚ उपकरणों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के माधà¥à¤¯à¤® सà¥à¤²à¤ थे। इन शैलाकà¥à¤·à¤¯à¥‹à¤‚ का उपयोग मानव नें अपने रहवास के लिये किया और इनà¥à¤¹à¥€ गà¥à¤«à¤¾à¤“ मे अपना ठिकाना बनाया।
विंधà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रूप से तीन पà¥à¤°à¤•ार के शैलाकà¥à¤·à¤¯ पाये गये है। पहले वे जिनका उपयोग मानव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के रहवास के रूप मे किया गया था और वे चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ है। दूसरे वे है जहां मानव के आवास के रूप मे उपयोग तो किया गया वहां शैलचितà¥à¤° का किसी à¤à¥€ तरह का कोई निशान नजर नही आता। ये सà¥à¤¥à¤² पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ चितà¥à¤° है और तीसरे सà¥à¤¥à¤² वे है जिनमें आवासियों ने चितà¥à¤°à¤£ हेतॠविशेष रूचि ली और यहां शैल चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥€ शà¥à¤°à¤‚खला देखी जा सकती है। अनेक à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤² à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ है जहां पर बैठने मातà¥à¤° का à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नही है वहां केवल लेटकर ही चितà¥à¤°à¤•ारी की जा सकती है। इस पà¥à¤°à¤•ार के सà¥à¤¥à¤²à¥‹ मे गडà¥à¤¡à¥€ पहाड, मैसोर, लोखहिया, धारकà¥à¤¡à¥€ शैलाशà¥à¤°à¤¯ समूहों का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया जा सकता है। आज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय मे आवागमन à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ इतनी अतà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤• विकसित होने के बाद à¤à¥€ इन दà¥à¤°à¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² पर पहà¥à¤‚चना कठिन है।
विंधà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मे मिलने वाले शैलाशà¥à¤°à¤¯ समूह का नामकरण उनके पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤² के आधार पर किया गया है। जिनमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है हनà¥à¤®à¤¨à¤¾ समूह मैसोर, लखहिया, लेखà¥à¤¤à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾ (30 शैलाशà¥à¤°à¤¯) गडà¥à¤¡à¥€ समूह (10 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ शैलाशà¥à¤°à¤¯) बदवार समूह (5 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ शैलाशà¥à¤°à¤¯) जलà¥à¤¦à¤° समूह (5 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ शैलाशà¥à¤°à¤¯) सोहागी समूह (6 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤) बैकà¥à¤ पà¥à¤° (4 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ शैलाशà¥à¤°à¤¯) चैसडा समूह (16 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ शैलाशà¥à¤°à¤¯) शिवपà¥à¤°à¤µà¤¾ समूह (3 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ शैलाशà¥à¤°à¤¯) खनà¥à¤¦à¥‹ समूह 8 चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ शैलाशà¥à¤°à¤¯à¥¤ इनके अतिरिकà¥à¤¤ केवेटी, देउर कोठार, लेदरीे घाट, धारकà¥à¤¡à¥€, जलापा, डूडी गढी आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹ पर à¤à¥€ शैलाशà¥à¤°à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ है। विंधà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में शैल चितà¥à¤°à¤•ला का आरमà¥à¤ उस समय से हà¥à¤† जब से यहां के मानव आखेट तथा खादà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹à¤£ करने लगे थे। उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किये गये चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ मे मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पशà¥à¤“ का आखेट तथा विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— व à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिà¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने वाले पशà¥à¤“ की बहà¥à¤²à¤¤à¤¾ है। विंधà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ शैल चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ मे मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से हिरण, à¤à¥ˆà¤¸à¤¾, बैल, हांथी सà¥à¤…र बारहसिंगा, बंदर, सांप तथा पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹ की आकृतियां पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है।
शैलाचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ मे विशेष रूप से खनिज रंगों का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है। जिनमें लाल गेरू, रकà¥à¤¤à¤¾à¤®, पीला, à¤à¤µà¤‚ सफेद रंग पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है। इन लाल गेरूà¤, पीले आदि रंगो से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होने के कारण ये चितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¾à¤“ मे सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से दिखाई देते है। यहां के शैल चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का तिथिकà¥à¤°à¤® उनकी विषय वसà¥à¤¤à¥ चितà¥à¤°à¤£ शैली, रंग, अधà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£, तथा अनà¥à¤¯ संबंधित सामगà¥à¤°à¥€ के आधार पर तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¨à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त विकासातà¥à¤®à¤• रूप से 12000 वरà¥à¤· ईसा पूरà¥à¤µ से 1600 ईसा पूरà¥à¤µ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त रखा जा सकता है। इन शैलचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से मानव जीवन की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ का कमà¥à¤°à¤¬à¤¦à¥à¤§ रूप से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सकता है। विंधà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ शैलाचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शैलचितà¥à¤° के इतिहास मे à¤à¤• महतà¥à¤µ पूरà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है।
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