मार्तण्ड स्कूल में है ब्रिटिश हुकूमत के जासूस की कब्रगाह, क्रांतिकारी ने मारी थी गोली.
यह जानकार जरूर आश्चर्य होगा की जब रीवा राज्य में अंग्रेजों का आक्रमण ही नहीं हुआ था तो यहा पर अंग्रेजों की कब्र कहा से आ गई। लेकिन ये हकीकत है की शहर का मार्तण्ड स्कूल परिसर के अंदर एक कोने में झाड़ियों के बीच अंग्रेजों की कई कब्रगाह है जो ब्रिटिश हुकूमत की जासूसी की गवाही देते है ये कब्रे लगभग 160 साल पुरानी है।
रीवा में ब्रिटिश हुकूमत के जासूसी की गवाही देती अंग्रेजों की लगभग 160 साल से पुरानी कब्रगाह मार्तण्ड स्कूल परिसर के एक कोने में झाड़ियों के बीच छिपी है, जो सिर्फ अब स्मृतियां बनकर रह गई है।
ब्रिटिश गवर्नर जनरल वाइसराय के यहा रहते थे राजदूत जो रीवा राज्य की करते थे जासूसी इनके निधन के बाद इन्हें यही पर दफना दिया गया था ये कब्र अब घनी झाड़ियों के बीच दबकर रह गई सिर्फ स्मृतियां जंहा जाने की कोई नही करता हिम्मत।
जहां पर आज मार्तण्ड स्कूल है वहाँ पर पहले अंग्रेज रहा करते थे उन्ही में से कुछ का निधन बीमारी के चलते हो गया था जिन्हे यहा पर दफना दिया गया था लेकिन आज ये कब्रे सिर्फ स्मृतिया बनकर रह गई है। वरिष्ठ इतिहासकार असद खान बताते है की यहा पर ब्रिटिश गवर्नर जनरल वाइसराय के दूत रहा करते थे जो रीवा राज्य में रहकर यहा की जासूसी करते थे यहा पर काफी संख्या में दूत रहा करते थे जिनके रहने के लिए 1850 में भवन बनवाया गया था।
1856 में ब्रिटिश कैप्टन कर्नल बिलोवी अश्वर्ण तत्कालीन रीवा नरेश रघुराज सिंह के लिए पुलिस एजेंट बनकर आया था जो यहा पर 1862 तक रहा जो इसी स्कूल में रहता था उसी दौरान एक क्रांतकारी ने उस पर गोली चला दी थी, लेकिन वो बच निकला था। आज की स्थित में ठंडी से बचने के लिए लोग हीटर या कोयला जलाते है लेकिन जिस समय यहा पर अंग्रेज रहते थे वो ठण्ड से बचने के लिए विशेष व्यवस्था बनाकर रखी थी जिस भवन में वो रहते थे वहा एक चेम्बर था जिसमे एक ऐसी भट्टी बनी हुई थी जिसमे कोयला डालकर आग लगाई जाती थी भट्टी से चेंबर गर्म हो जाता था जिससे पूरा भवन गर्म हो जाता था।
वर्ष 1923-24 के दौरान तत्कालीन महाराजा मार्तण्ड सिंह के नाम से इस स्कूल का नाम मार्तण्ड स्कूल पड़ा तब से लेकर आज तक ये स्कूल मार्तण्ड स्कूल के नाम से जाना जाता है। लेकिन आज भी यहा पर अंग्रेजों की स्मृतियाँ बची है जो यह याद दिलाती है की कभी यहा पर अंग्रेज भी रहा करते थे और वो यहा पर रहकर राजतंत्र की निगरानी रखकर जासूसी करते थे।
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