त्यौहार का महत्व
भारतीय जीवन मे त्यौहारो का विशेष महत्व है हिन्दुओं मुसलमानो, सिक्खों ईसाईयो पारसियो सभी के अपने अपने त्यौहार है। इन त्यौहारो के सहारे हर धर्म के लोग अपने पूर्वजो के कारनमो और आदर्श जीवन और शिक्षाप्रद बातो को आये बरस दोहराते है इन अवसरो पर खुशियां मनाते है। धर्म ग्रन्थो को पढते है पुरूखों के आदर्श जीवन की बाते खुद सुनते है और अपनी संतान को सुनाते है। इस तरह सहज ही पुराने जमाने का इतिहास सभ्यता और संस्कृति हमारी आंखो के सामने आ जाते है। इसलिए त्यौहार मनाने का मतलब यह है कि जहां हम बहुत पुराने समय से चले आये इन त्यौहारो को मनाकर पुराने आदर्श जीवन और अच्छे कार्यो को दोहरा लेते है वहां इन त्यौहारो को मनाने का यह भी उद्देश्य है कि हम उन अच्छी-अच्छी बातो को आज के जीवन और रहन सहन तथा समय के अनुकूल बना लेने की भी कोशिश करते है।
हमारे जितने भी त्यौहार है उन सब के पीछे कोई- न कोई घटना है, कोई न कोई ऐसी बात है जिसके कारण हम उन्हे मानते है। जैसे विजय दशमी का दशहरा है। इस दिन राजा रामचन्द्र से लंका के राजा रावण पर विजय पाई थी। या यो भी कह सकते है कि भगवान रामचन्द्र सत्य के हामी थी और रावण असत्य और पाप का हामी था। भगवान ने असत्य और पा का नाश किया और इस तरह सत्य और धर्म की विजय हुई। तब से लेकर विजय दशमी भाारत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक बडी धूमधाम के साथ मनाई जाती है। मतलब यह कि हर त्यौहार हमे पूर्वजों के समय की याद दिलाता है और त्यौहार मनाते समय हर कोई शुद्ध मन के साथ उन पूर्वजों के आदर्श जीवन को अपने जीवन का लक्ष्य बनाता है। हमारे त्यौहारो मे बहुत से ऐसे है जो बरस भर मे बदलने वाले मौसम के साथ संबंध रखते है जैसे वसंत है वैशाख्ी है होली है। इसके बाद कुछ धर्म के साथ संबंध रखते है जैसे जन्माष्टमी, शिवरात्री रामनवमी, दशहरा, दीवाली, ईद आदि। लेकिन जिन दिनो इन त्यौहारो ंको मनाया जाता है उनमे भी इनका संबंध मौसम से हो ही जाता है। हमारे पूवर्जो ने त्यौहारो के अवसर ऐसे ढंग से नियत किये है कि वे बेमौसम न जान पडे। मिसाल के लिए दीवाली, दीवाली बरसात के बाद आती है बरसात मे लगातार पानी पढते रहने से घर घर मे सीलन हो जाती है मकानो मे छते दीवारे सब खराब हो जाती है दीवाली से पहले घरों मे सफेदी मरम्मत लिपाई पुताई की जाती है और उस खास दिन दिये जलाये जाते है। दिये जलाने से अशुद्ध वायु शुद्ध हो जाती है इसी तरह जन्माष्टमी का संबंध भगवान कृष्ण के जन्म से है किन्तु बरसात के दिनोे इसे मनाया जाता है। इसके बाद एमदम राष्ट्रीय पर्व है जैसे स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त, 2 अक्टूबर गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस 26 जनवरी। कुछ एक ऐसे भी त्यौहार है जिन्हे हमने अपने ही बुरे चलनो से बदनाम कर दिया है जैसे दीवाली और होली। इसके अतिरिक्त इन त्यौहारों के अवसर पर धनी-निर्धर छोटे बडे सभी एक ही सी खुशी के साथ मिलकर त्यौहार मनाते है। यह मिल जुलकर त्यौहार मनाने का कार्य हमे इस बात की याद दिलाता है कि हमे अपना सामाजिक संगठन मजबूत बनाना चाहिए। जो समाज केवल किसी एक ही वर्ग का होगा वह समाज मजबूत नही हो सकता। वह जो केवल एक गुट या जत्था होगा। समाज मे सभी वर्ग शामिल होने चाहिए। सभी वर्गो वाला समाज समूचे देश का कल्याण कर सकता है जहां का समाज अलग-अलग वर्गो अर्थात धनी निर्धन, छोटे बडे मे बंटा होगा वह समाज नष्ट हो जायेगा। इस बात बडा सबूत हमारा हिन्दू समाज है। महाभारत के बाद से हिन्दू समाज मे बुराईयां पैदा हुई हिन्दू समाज छूूत-अछूत, धनी-निर्धन, छोटे-बडे, मे बंट गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि समूचे देश की हालत बिगड गई। विदेशियो ने हामरे मत-भेदों के कारण हमे गुलाम बना लिया। देश मे जितनी बुराईयां पैदा हो रही है उन्हे त्यौहार दूर करने मे मददगार साबित होते हैं हम त्यौहार की खुशियां मनाने मे अपने को एक समझते है। इन त्यौहारो को आजाद भारत मे ऐसा रूप होना चाहिए कि सभी धर्मो के त्यौहार को सभी मनाएं।
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